प्रोडक्ट की सही प्राइस तय करना क्यों मुश्किल होता है? E-commerce Seller की Practical Guide

सही प्राइस तय करना – बिज़नेस की सबसे कन्फ्यूज़ करने वाली चीज
E-commerce चलाते हुए सबसे मुश्किल कामों में से एक है – प्रोडक्ट की सही कीमत लगाना।
बहुत सस्ता रखा तो मुनाफा नहीं बचेगा…
ज़्यादा रखा तो ग्राहक भाग जाएगा।

1. मार्केट रिसर्च के बिना प्राइस मत लगाओ

पहले Amazon, Flipkart, Meesho जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने प्रोडक्ट जैसे 5-10 प्रोडक्ट चेक करो
प्राइस रेंज समझो – सबसे सस्ता कौन बेच रहा है, सबसे महंगा कौन?

बिना रिसर्च की प्राइसिंग = या तो घाटा या फिर no sale

2. खर्च जोड़ो, सिर्फ प्रोडक्ट रेट नहीं

सिर्फ खरीद मूल्य मत देखो, ये भी जोड़ो:

Packing cost
Platform commission (10-20%)
Shipping charges
Ad spend (अगर चला रहे हो)
Returns का risk
➡ इन सबको जोड़ने के बाद minimum selling price तय करो।

3. Emotional प्राइसिंग भी काम करती है

Rs. 299, Rs. 499, Rs. 999 — ये प्राइसिंग psychological होती है।
ग्राहक को ये प्राइस “कम” लगती है, जबकि actual difference सिर्फ ₹1-₹5 का होता है।

➡ Use “Odd Pricing” यानी 299 की जगह 300 मत लिखो।

4. Tier बनाओ – एक product, अलग prices

Example:
Basic version – ₹299
Standard version – ₹499
Premium – ₹799
➡ इससे ग्राहक को options मिलते हैं और आप ज्यादा margin भी बना सकते हो।

5. छोटा टेस्ट करो – फिर प्राइस फाइनल करो

एक ही प्रोडक्ट को अलग-अलग प्राइस पर 7-10 दिन चलाओ (A/B testing)।
जहां ज्यादा sale और अच्छा margin आए – वहीं प्राइस सेट कर दो।

➡ Don’t guess. Test.

🔚 निष्कर्ष:
सही प्राइसिंग कोई formula नहीं है, ये experience और data से तय होती है।
ना बहुत सस्ता बेचो, ना डर के ज़्यादा रेट रखो।

मार्केट, खर्च और कस्टमर का mind – तीनों को देखकर फैसला लो।

अगर आपने अभी तक स्टॉक मैनेजमेंट सही से सेट नहीं किया है, तो ये ब्लॉग ज़रूर पढ़ें: स्टॉक की कमी या ओवरस्टॉक

1 thought on “प्रोडक्ट की सही प्राइस तय करना क्यों मुश्किल होता है? E-commerce Seller की Practical Guide”

Leave a Comment